हेलो दोस्तो एक बार फिर से आपका स्वागत है एक नए टॉपिक के साथ जिस टॉपिक का नाम है मैनुअल स्टेबलाइजर कैसे कार्य करता है तो आइए दोस्तों मैं आपको बताता हूं 10 वोल्टेज स्टेबलाइजर आखिर होता क्या है और यह कैसे कार्य करता है इसमें कौन-कौन से पार्ट होते हैं इसमें किस प्रकार के फालडेडेशन होते हैं
दोस्तो आप सही तो जानते होंगे भारत में सिंगल फेज सप्लाई के लिए 220 230 वोल्ट 50 हर्टज के स्टैंडर्ड लाइट वोल्टेज दी जाती है यदि सप्लाई लाइन की वोल्टेज में उतार चढ़ाव होता है तो न केवल उपकरण की कार्य क्षमता कम होती है बल्कि उपकरण के खराब होने की संभावना रहती है स्टेबलाइजर एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिसके माध्यम से हम इलेक्ट्रिक उपकरणों जैसे टीवी फ्रिज इत्यादि का विद्युत के उतार-चढ़ाव से सुरक्षा कर सकते हैं इसके आउटपुट सप्लाई को इच्छा अनुसार एडजस्ट किया जा सकता है इस छोटे उपकरण को वोल्टेज स्टेबलाइजर कहते हैं यह कई प्रकार के होते हैं उन्हें उनकीउनके कार्य प्रणाली के आधार पर विभाजित किया जाता है कुछ स्टेबलाइजर मैन्युअल ऑपरेटेड किए जाते हैं उन्हें मेन्यूअल स्टेबलाईजर कहते हैं यह सबसे सामान्य प्रकार के होते हैं दूसरे प्रकार के स्टेबलाईजर ओवर वोल्टेज प्रोटेक्शन सर्किट होता है अर्थात पूर्व निर्धारित लोड से अधिक की सप्लाई को काट देता है इन्हें आटो कट स्टेबलाईजर कहा जाता है तीसरे प्रकार के स्टेबलाइजर ऑटोमेटिक तरीके से आउटपुट सप्लाई को एक निश्चित सीमा तक स्थिर रखते हैं उन्हें ऑटोमेटिक स्टेबलाइजर कहा जाता है इस ब्लॉग में हम मैनुअल स्टेबलाइजर के बारे में जानकारी हासिल करेंगे
Transfarmar
किसी वोल्टेज स्टेबलाइजर का प्रमुख भाग उसका ट्रांसफार्मर होता है ट्रांसफार्मर विद्युत का एक ऐसा उपकरण है जो कि इनपुट वोल्टेज को अधिक या कम कर सकता है
अधिकांश स्टेबलाइजर में ऑटो ट्रांसफॉर्मर का प्रयोग किया जाता है ऑटो ट्रांसफॉर्मर में केवल एक ही वाइंडिंग होती है जिसमें अलग-अलग वोल्टेज के लिए अलग-अलग टाइपिंग निकाले हुए होते हैं इनमें एक सिरा कॉमन अर्थात जीरो वाल्ट के लिए होता है तथा शेष क्रमशः 180 वोल्ट 190 वोल्ट 200 वाट 210 वोल्ट 220 वोल्ट 230 वोल्ट 240 वोल्ट और 250 वोल्ट के लिए होते हैं इसके अलावा कुछ ऑटो ट्रांसफॉर्मर में इससे भिन्न वोल्टेज की टिप्स भी होते हैं जिस प्रकार ऑटोट्रांसफॉर्मर ऑटोमेटिक स्टेबलाइजर में प्रयोग किए जाते हैं और ऑटो कट स्टेबलाइजर 180 वोल्ट 250 वोल्टेज ट्रांसफॉर्मर प्रयोग किया जाता है।
Identify of tap of Auto transformer
सामान्य ऑटो ट्रांसफॉर्मर में कुल 9 सीरे एक ही वाइंडिंग होती है यदि हम मल्टीमीटर को कान्टीन्युटी नापने वाली रेंज में रखकर उसकी एक तार को कॉमन सीरे में तथा दूसरी को क्रमशः 180 250 वोल्ट के सीरे पर रखे तो हमें प्रत्येक बार कान्टी न्युटी प्राप्त होगी अर्थात मीटर की सुई दायी तरफ संकेत देगी जब किसी स्टेबलाइजर ट्रांसफार्मर लगाना होता है या बदलना होता है तो उन सभी सिरो को अलग अलग पहचान करना जरूरी है अन्यथा गलत वायरिंग हो जाने पर ट्रांसफार्मर खराब हो सकता है ऑटो ट्रांसफॉर्मर में सबसे पहले कामन सिरे की पहचान की जाती है
Note :
1-: कॉमन सीर हमेशा ही पतला होता है
2-: 180 वोल्ट का सीरा भी एक साथ 2पतले वायर से निकलता है
3-: जब की अन्य सीरे अपेक्षाकृत मोटे होते है
4-: इसके अलावा ऑटो ट्रांसफार्मर की विभिन्न टेपींग पर वोल्टेज चेक करके भी इनकी पहचान की जा सकती है इसके लिए सबसे पहले कॉमन और 110 के सीरे को पहचानना होता है तथा इन्हें आसानी से पहचाना भी जा सकता है जब इन दोनों सिरों के बीच 180 वोल्ट की सप्लाई किसी भी अन्य ट्रांसफार्मर या स्टेबलाइजर के द्वारा देते हैं तथा इस सप्लाई को मीटर से चेक कर लेते हैं सीरे 1 अर्थात 180 वोल्ट की टेपिंग पर जो सप्लाई दी गई है उससे 10 वोल्ट अधिक की सप्लाई जिस सीरे पर प्राप्त होगा वह सीरा नंबर 2 यानी 190 वोल्ट होगा इसी प्रकार 10-10 वोल्ट बढते हुए क्रम मे इसके सीरे को क्रमानुसार पहचानते हैं
Working system of auto transformer-:
प्रत्येक ट्रान्सफार्मर की तरह ये भी म्युचूअल इंडेकटेंस के आधार पर कार्य करता है
इनमे कॉमन और 220 वोल्ट के सीरे से इनपुट सप्प्लाई देते ही कोर मे चुम्बकीय प्रभाव उत्पन हो जाते है यदि इनपुट सप्लाई का मान 220 की जगह 210 वोल्ट हो जाता है तो प्रेक सिरे पर अंकित माँ से 10 वोल्ट कं हो जाता है।
एक आटो ट्रान्सफार्मर अपने आकार के सामान्य ट्रान्सफार्मर से भी अधिक आउटपुट पावर सहन कर सकता है इसकी प्रमुख कमी ये है की ये अपने इनपुट और आउटपुट सप्लाई को अलग-अलग नही कर पाता है। इससे कहा जा सकता है की इसका प्रयोग वही किया जाता है जहा विद्युत अलगाव (electrical isolation)जरुरी नही होता है।
1 पोल 8 वे स्विच(one pol eight way sweech)-:
आटो ट्रान्सफार्मर की 8 सीरो मे से वाँछित सीरे को सिलेक्ट करने के लीये जिस स्विच का उपयोग करते है वह 1 पोल 8वे स्वीच होता है।
आटो ट्रान्सफार्मर कि प्रत्येक सिरे इस स्विच से जुड़े हुए होते हैं ऊपर के दाएं और का सिरा स्टार्टिंग अर्थात 180 वोल्ट का होता है।
Normal manual voltage stabilizer-:
यह एक सामान्य प्रकार का वोल्टेज स्टेबलाइजर है इसमें ऑटो ट्रांसफॉर्मर के विभिन्न टेपिंग को एक 1 पोल 8 वे स्विच से सिलेक्ट करके इनपुट सप्लाई दी जाती है तथा आवश्यकतानुसार निश्चित टैपिंग से आउटपुट सप्लाई प्राप्त की जाती है।
Working system of circuit-:
इस सर्किट में ऑटो ट्रांसफॉर्मर की अर्थात वह वाइंडिंग जिस पर एसी सप्लाई दी जाती है कि सिलेक्शन 1 पोल 8 वे स्विच के माध्यम से किया जाता है।
माना की किसी समय इनपुट सप्लाई का मान 180 वोल्ट है तो उस स्विच को एक नंबर की स्थिति में रखना होगा इस समय कॉमन और 180 वोल्ट की वाइंडिंग को ठीक 180 वोल्ट की सप्लाई प्राप्त होगी और ट्रांसफार्मर की 230 वोल्ट की टेपिंग से ठीक 230 वोल्ट आउट होंगे यह सप्लाई आउटपुट सॉकेट से प्राप्त होगा तथा वोल्टमीटर के माध्यम से पता चलता रहता है
☆Step up☆
Input sweech position output
180 volt 1 no. 180 volt
180 volt 2 no. 220 volt
180 volt 3 no. 210 volt
☆ step down☆
180 volt 8 no. 160 volt
इस प्रकार हम 230 वोल्ट की आउटपुट सप्लाई प्राप्त करने के लिए बनफूल आठवें शिक्षकों सही एडजेस्ट करना जरूरी है चुके वोल्टमीटर आउटपुट सप्लाई के पैनल में लगा होता है पता है हम यह पता नहीं कर सकते कि इनपुट सप्लाई का मान क्या है लेकिन आउटपुट सप्लाई का मान क्या है लेकिन आउटपुट सप्लाई का मान और स्वीच की स्थिती को देख कर जान सकते है की आउटपुट मे सप्लाई का मान क्या है।
उदाहरण के लिए वोल्ट्मीटार 240 वोल्ट बता रहा है और स्विच नंबर दो स्थिति में है अतः स्पष्ट है कि ऑटो ट्रांसफार्मर की 230 वोल्ट की टेपिंग पर 240 वोल्ट है अर्थात की नंबर 6 की स्थिति पर 240 वोल्ट है अब जैसे-जैसे स्विच कम नंबर की तरफ आएगा वैसे-वैसे प्रत्येक स्थिति में 10 10 वॉल्ट कम होते जाएंगे पांच नंबर की स्थिति में 230 वोल्ट 4 नम्बर की स्थिति में 220 वोल्ट 3 की स्थिति में 210 वोल्ट 2 नम्बर की स्थिति में 200 वोल्ट प्राप्त होगा चूँकि आउटपुट मे 240 वोल्ट आ रहा है मतलब 230 वोल्ट की टेपींग से 240 वोल्ट यानि 10 वोल्ट अधिक प्राप्त होगा ।
Up down voltage stabilizer-:
इस सर्किट में ऑटो ट्रांसफॉर्मर को ac इनपुट सप्लाई 1 पोल 2 वे स्विच के द्वारा दिया जाता है जिसमें पहले पोल में 180 वोल्ट की वाइंडिंग को दी जाती है या दूसरे पोल में 250 वोल्ट की वाइंडिंग को दी जाती है ट्रांसफार्मर की सभी टेपिंग्स क्रमानुसार 148 वे स्विच के विभिन्न हीरो से जुड़ी है इस चीज के पुल से आउटपुट सप्लाई करके आउटपुट सॉकेट में दी गई है इस सर्किट में इनपुट ए सी लाइन के फेस को ऑन ऑफ स्विच और फ्यूज के द्वारा 142 मैसेज के पोल पर दिया गया है यह स्विच अप और डाउन स्थिति में कार्य करता है स्थिति में यह पोल खोल 86 नंबर 1 के द्वारा ट्रांसफार्मर की 180 वोल्ट को सप्लाई प्रदान करता है तथा डाउन स्थिति में या 1 पोल 8 वे स्वच के आठवे सीरे के द्वारा ट्रान्सफार्मर के 250 वोल्ट की वाइंडिंग को प्रदान करता है। जब भी इनपुट सप्लाई का मान अधिकतम 220 वोल्ट तक होता है तब इस स्विच को अब स्थिति में रखते हैं तथा जब इनपुट सप्लाई का मान 220 वोल्ट से अधिक होता है इसे शिक्षको डाउन स्थिति में रखते हैं इनपुट एसी के न्यूट्रल को आउटपुट सॉकेट तथा ऑटो ट्रांसफॉर्मर को दिया जाता है इनपुट सप्लाई के पैरेलल में एक नियॉन पैरी लाल में एक नियोन लैंप तथा आउटपुट सप्लाई के पैरेलल में वोल्ट मीटर लगाया गया है
Manual voltage stabilizer making by "DPDT" switch-:
यह स्टेबलाईजर सामान्य व अप डाउन स्टेबलाईजर का मिलजुला रूप है इसमे अप डाउन की स्थीति को छाटने के लिये डबल पोल डबल टेग(DPDT) स्विच लगा होता है।
ये लीवर टाईप डोंगल स्वीच होता है जो प्रत्येक स्थिती मे दो दो कोन्टेक्ट देता हैएक स्थिती मे ये स्विच जिन दो कॉन्टेक्ट को बनाते है दूसरी स्थिती मे ये ओपन हो जाता है और दुसरे दो कॉंटेक्ट को प्राप्त कर लेते हैं ।
Fald fighting of manual stabilizer-:
फाल्ड नम्बर 1-:
वोल्टेज स्टेबलाइजर के आउटपुट से कोई प्राप्त ना होना।
सामान्यता है हम स्टेबलाइजर में लगे ए सी वोल्ट मीटर को देखकर ही उसकी आउटपुट वोल्टेज का पता लगाते हैं किंतु यदि यह वोल्ट मीटर ही दोषपूर्ण हो जाए तो यह वोल्ट नहीं बताएगा अतः डेट स्टेबलाइजर को चेक करते समय सर्वप्रथम उसके आउटपुट सॉकेट में बाहरी वोल्ट मीटर को 250 वोल्ट ए सी रेंज में रखकर लगाते हैं यदि बाहरी मल्टीमीटर वोल्ट दिखाता है तो इसका अर्थ है स्टेबलाइजर में लगा एसी वोल्टमीटर खराब हो गया है लेकिन अगर मल्टीमीटर भी वोल्ट ना बताए तो स्टेबलाइजर में ही कुछ खराबी है इन खराबी को ढूंढने के लिए मुख्य रूप से स्टेबलाइजर की मेन लीड तथा ऑन ऑफ स्विच चेक करते है क्योंकि इन दोनों में से किसी एक के भी ओपन हो जाने पर स्टेबलाइजर खराब हो जाता है ऑटो ट्रांसफार्मर की सभी बाइंडिंग के ओपन हो जाने पर भी अब स्थिति में 1 पुल ए टू वे स्विच केसरी नंबर एक पर डाउन स्थिति में से 8 पर वर्ल्ड मीटर अवश्य बताएगा हालांकि स्टेबलाइजर कार्य नहीं करेगा लेकिन इस स्थिति को खराब स्थिति नहीं माना जा सकता किन्तु मेन लीड या ऑन आफ स्विच के खराब होने से 1 पोल 8 वे स्विच के 1 व 8 नम्बर सीरे पर वोल्ट नही बतायेगा।
फाल्ड नम्बर 2-:
स्टेबलाईजर के अप डाउन दोनो स्थितियो मे समां वोल्ट तथा 1 पोल 8 वे स्विच की स्थिती को बदलने पर भी कोई प्रभाव न पडना।
उपाय-: यह खराबी मुख्य रूप से ऑटो ट्रांसफार्मर की कॉमन में 180 वोल्ट के बीच की क्वाइल की ओपन हो जाने के कारण होती है कॉमन सिरे न्यूटल दिया जाता है लेकिन जब यह सिर और 180 वोल्ट के सिरे की बीच की क्वायल ओपन हो जाती है तो ट्रांसफार्मर को न्यूट्रल मिलना बंद हो जाता है अगर अप डाउन स्विच को अप स्थिति में रखा जाए तो ट्रांसफार्मर की पूरी वाइंडिंग एक ही वाइंडिंग होने के कारण 1 पोल 8 वे स्विच की प्रत्येक स्थिति में आउटपुट प्राप्त होंगे लेकिन वोल्ट इनपुट के बराबर ही होंगे इसी प्रकार अप डाउन स्विच की डाउन स्थिति में यही स्थिति होगी।
फाल्ड नम्बर 3-: स्टेबलाईजर के अप और डाउन दोनो स्थितियो केवल कुछ सिरो पर ही वोल्ट बताना।
उपाय-:
यह खराबी मुख्य रूप से ऑटो ट्रांसफार्मर के सिरे 1 वर सिरे 8 तक के किन्हीं दो सिरो के बीच की क्वाइल के ओपन हो जाने के कारण होती है उदाहरण के लिए माना की सीरा 4 और 5 के बीच की क्वायल ओपन हो गई है अब यदि अप डाउन स्विच को अब स्थिति में रखा जाए तो सिरे 1 से 4 तक वोल्ट प्राप्त होंगे तथा प्रत्येक स्थिति में वॉल्ट बढ़ेंगे लेकिन जैसे ही 1 पोल 8 वे स्विच को सिरे 5 पर करते हैं वैसे ही स्टेबलाइजर को डाउन स्थिति में रखा जाएगा तो उसे सिरे 8 से 5 तक प्राप्त होंगे तथा प्रत्येक स्थिति में वोल्ट समान हो जाएंगे लेकिन जैसे ही 1 पोल 8 वे को सिरे 4 पर लगाया जाएगा वैसे ही स्टेबलाइजर का वोल्टमीटर बताना बंद कर देगा तथा उसके बाद सिरे 1 तक वोल्ट नहीं बताएगा इस स्थिति में स्टेबलाइजर को रिपेयर करने के दो तरीके हैं एक तो ट्रांसफार्मर को बदला जाए तथा दूसरी की 1 पोल 8 वे स्विच के सिरे 4 व 5 के बीच एक तार जोड़ दिया जाए इस स्थिति में स्टेबलाईजर कार्य करने लगेगा लेकीन उसकी वोल्टेज केपेसिटी कम हो जाएगी इसके अलावा जोड़े गये दोनो सिरो पर समान वोल्ट प्राप्त होगा।
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ReplyDeleteVery Nice article ! great job. Thanks for sharing.
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