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Oscillation

ओसीलेशन क्या है?

किसी एक ही क्रिया को बार-बार दोहराना बार बार दोहराना ओसीलेशन कहलाता है। यह एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक सर्किट है जिसके द्वारा बिना कोई इनपुट दिए कोई भी फ्रिकवेंसी प्राप्त की जा सकती है ओसिलेटर सर्किट को दी जाने वाली डीसी सप्लाई ही इसे ओसीलेट करने के लिए पर्याप्त होती है और यह सर्किट तब तक ओसीलेशन करता रहता है जब तक इसी सप्लाई मिलती रहती है सप्लाई के ऑफ होते ही ओसीलेटर सर्किट कार्य करना बंद कर देता है।ओसिलेटर सर्किट कितने प्रकार का होता है ओसिलेटर सर्किट कई प्रकार के होते हैं लेकिन इनकी आउटपुट से प्राप्त होने वाली तरंग के आकार के अनुसार इन्हें दो भागों में बांटा जा सकता है-
1-: यह ऐसी ओसीलेटर सर्किट होते हैं जिनकी आउटपुट से प्राप्त तरंग का रूप सामान्य ac की तरंगों के समान होता है इन्हें हारमोनीक ओसीलेटर (Harmonic oscillator)कहते हैं।

2-: यह ओसीलेटर जो फ्रिकवेंसी उत्पन्न करते हैं इसकी तरंग का रूप ac की तरंग से बिल्कुल अलग होता है इसे रिलैक्सेशन ओसीलेटर (Relaxation oscillator) कहते हैं।

इस प्रकार के किसी भी ओसीलेटर सर्किट के द्वारा अलग अलग वेवशेप की वंचित फ्रिकवेंसी प्राप्त की जा सकती है इस कार्य के लिए प्रत्येक ओसीलेटर सर्किट में आवश्यक रूप से एक फ्रिकवेंसी और वेवशेप का निर्धारण करने वाला सर्किट लगा होता है जिसे रिजोनेंट सर्किट या ट्युण्ड सर्किट कहते हैं यह सर्किट ओसीलेटर के मुख्य पुर्जो जैसे ट्रांजिस्टर या आई सी के इनपुट और आउटपुट सीरों के बीच लगा होता है इस क्रिया को फीडबैक भी कहते हैं। किसी भी एंपलीफायर सर्किट में आउटपुट सिग्नल का एक भाग वापस इनपुट में देने की क्रिया को फीडबैक कहते हैं इस क्रिया के परिणाम स्वरुप ही सर्किट में ओसीलेशन होता है वह पुर्जा या सर्किट जो फीडबैक सिगनल का आउटपुट से वापस इनपुट तक ले जाता है ओसीलेशन को कंट्रोल करने वाला पुर्जा या सर्किट कहलाता है इस के द्वारा ही ओसीलेटर की फ्रिक्वेंसी के मान तथा वेवशेप का निर्धारण किया जाता है। यदि किसी उसी लेटेस्ट सर्किट में यह फीडबैक पूजा या सर्किट निकाल दिया जाए तो शेष सर्किट 1 एंपलीफायर की तरह कार्य करता है इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि एक ओसोलेटर सर्किट में अनिवार्य रूप से एक एंपलीफायर सर्किट होता है।

1 एंपलीफायर सर्किट में फीडबैक क्रिया के द्वारा आउटपुट सिग्नल की ताकत को बढ़ाया जाता है इस सर्किट में इनपुट सिग्नल भी दिया जाता है लेकिन जब हम एक निश्चित मान की फ्रीक्वेंसी उत्पन्न करना चाहते हैं तो सर्किट की बायसिंग इस प्रकार बनाई जाती है कि सर्किट को सप्लाई मिलते ही वह ओसीलेशन करना शुरू कर देता है।

1-:क्या ओसीलेटर सर्किट  ट्रांजिस्टर से बनाया जा सकता है?

ओसीलेटर सर्किट एक सिंगल ट्रांजिस्टर के द्वारा भी बनाए जाते हैं और एक से अधिक ट्रांजिस्टर के द्वारा भी बनाए जा सकते हैं सिंगल ट्रांजिस्टर के द्वारा बने ओसीलेटर मे ट्रांजिस्टर के कलेक्टर और बेश के बीच फीडबैक क्रिया बनाई जाती है। इस सर्किट में कैपेसिटर 1 एक आउटपुट कैपेसिटर है जबकि कैपेसिटर2 फीडबैक कैपेसिटर की तरह कार्य कर रहा है।

लोकल फीडबैक किसे कहते है?

एक कई स्टेज वाला ओसीलेटर सर्किट में या तो प्रत्येक स्टेज को स्वतंत्र रूप से फीडबैक दी जाती है जिसे लोकल फीडबैक कहते हैं।
मल्टिस्टेज फ़ीड बैक किसे कहते है।
कई स्टेचू को सामूहिक रूप से फीडबैक दी जाती है जिसे मल्टीस्टेज फीडबैक कंपोजिट फीडबैक कहते हैं।

 मल्टी वाइब्रेटर किसे कहते हैं?

ऐसा ओसी लेटर सर्किट जिसमे एक ट्रांजिस्टर की आउटपुट का एक भाग दूसरे ट्रांजिस्टर की इनपुट में तथा दूसरे ट्रांजिस्टर की आउटपुट का एक भाग पहले ट्रांजिस्टर की इनपुट में दिया गया है इस प्रकार के सर्किट मल्टीवाइब्रेटर कहलाते हैं।

मल्टी वाइब्रेटर कैसे कार्य करता है?

इसमें दो समान ट्रांजिस्टर आपस में इस प्रकार जुड़े होते हैं कि एक की आउटपुट दूसरे को इनपुट प्रदान करती है तथा दूसरे की आउटपुट पहले को इनपुट प्रदान करती है मल्टी वाइब्रेटर की कार्यप्रणाली दोनों ट्रांजिस्टर के बीच प्रयोग की गई कप लिंग के प्रकार पर निर्भर करती है ।

क प लिंग के आधार पर मल्टीवाइब्रेटर कितने प्रकार के होते हैं?

क प लिंग के आधार पर मल्टीवाइब्रेटर तीन प्रकार के होते हैं-:

1-: मोनो स्टेबल मल्टीवाइब्रेटर
2-: एस्टेबल मल्टीवाइब्रेटर
3-: बाई स्टेबल मल्टी वाइब्रेटर

मोनो स्टेबल मल्टीवाइब्रेटर-:

इस प्रकार के मल्टीवाइब्रेटर सर्किट बेल स्विच की तरह कार्य करते हैं जिस प्रकार बेल स्विच सामान्य अवस्था में ऑफ रहता है लेकिन जब उसे दबाया जाता है तो वह ऑन होकर घंटी को सप्लाई देता है और घंटी बजने लगती है घंटी तब तक बजती रहती है जब तक कि स्विच दबा हुआ रहता है स्विच को छोड़ने पर वह अपनी सामान्य अवस्था में आकर ऑफ हो जाता है और घंटी बंद हो जाती है ठीक इसी प्रकार मोनोस्टेबल मल्टीवाइब्रेटर सामान्य अवस्था में ऑफ रहता है अर्थात कोई ओसीलेशन नहीं करता जब इसकी इनपुट पर सिग्नल दिया जाता है तो यहां ऑन होकर ओसीलेसन करने लगता है और इसकी आउटपुट से एक निश्चित मान की फ्रिक्वेंसी प्राप्त होती है ऐसे ही इनपुट पर (ट्रिगर पल्स) दिया जाता है तो यह ऑन हो कर ओसिलेशन करने लगता है और इसकी आउटपुट से एक निश्चित मांग की फ्रीक्वेंसी प्राप्त होती है और जैसे ही इनपुट पर ट्रिगर पल्स मिलना बंद हो जाता है वैसे ही आउटपुट मिलना भी बंद हो जाता है मोनोस्टेबल मल्टीवाइब्रेटर में दोनों ट्रांजिस्टर के बीच कप लिंग के लिए रजिस्टेंस कैपेसिटर का प्रयोग किया जाता है।

एस्टेबल मल्टिवाइब्रेटर किसे कहते है?

इस प्रकार के मल्टीवाइब्रेटर में क प लिंग के लिए कैपेसिटर का प्रयोग किया जाता है जैसे ही सर्किट को सप्लाई मिलती है वैसे ही इसका ओसीलेशन प्रारंभ हो जाता है इसमें  ओसिलेशन को ऑन करने के लिए ट्रिगर पल्स की आवश्यकता नहीं होती है यह ओसीलेशन तब तक होता रहता है जब तक इसे सप्लाई मिलती रहती है जैसे ही सप्लाई स्विच ऑफ कर देते हैं वैसे ही सर्किट का ओसीलेशन बंद हो जाता है।

बाइस्टेबल  मल्तीवाइब्रेटर किसे कहते है?

बाई स्टेबल मल्टी वाइब्रेटर 2 स्थिर स्थितियों वाला मल्टीवाइब्रेटर कहलाता है अर्थात इसमें दो स्थिर स्थितियाँ होती है स्थितियों को हम सरल भाषा में ऑन और ऑफ़ कह सकते हैं मल्टीवाइब्रेटर को एक स्थिति से दूसरी स्थिति में ले जाने के लिए एक ट्रिगर पल्स की आवश्यकता होती है उदाहरण के लिए यदि आप एक बल्ब किसी स्विच के द्वारा जोड़ा गया हो तो उसे स्विच के द्वारा या तो बल्ब को ऑन किया जा सकता है या तो आफ किया जा सकता है इसी बात को हम इस प्रकार भी कह सकते है कि इस बीच में दो स्थित स्थितियां है पहली स्थिति ऑन तथा दूसरी स्थिती ऑफ़ है। स्विच को एक स्थिति से दूसरी स्थिति में ले जाने के लिए उसे दबाना होगा और एक बार दबाने से जो स्थिति प्राप्त होगी वह स्थिर स्थिति होगी यह स्विच तब तक इसी अवस्था में रहेगा जब तक कि उसे एक बार पुनः ना दबाया जाए

बाई स्टेबल मल्टी वाइब्रेटर में कप लिंग के लिए रजिस्टेंस का प्रयोग किया जाता है

ओसी लेटर और मल्टीवाइब्रेटर्स पर आधारित कुछ प्रायोगिक सर्किट-:

1-: जलती बुझती एलईडी का सर्किट-:

यह सर्किट एस्टेबल मल्टीवाइब्रेटर पर आधारित है जिसमें दो ट्रांजिस्टर के बीच कैपेसिटर्स के द्वारा कडलिंग की गई है इस सर्किट में एलईडी के जलने बुझने की तीव्रता इन दोनों कैपेसिटर्स की मांग पर आधारित है यदि आप एलईडी के जलने बुझने की गति को कम करना चाहते हैं तो इन दोनों कैपेसिटर्स का मान बढ़ा दे

2-: ऑडियो टेस्टर-:

इस सर्किट में दो ट्रांजिस्टर एस्टेबल मल्टीवाइब्रेटर के रूप में लगे हैं इनकी कपिल के लिए कैपेसिटर एक और कैपेसिटर 2 का मान इस प्रकार रखा गया है कि इस सर्किट की आउटपुट फ्रिकवेंसी ऑडियो फ्रीक्वेंसी रेंज से अधिक ना हो यहां या फिर किसी लगभग 1 किलोमीटर रखी गई है इस सर्किट की आउटपुट रेडियो सेट से या कोई दूसरी ऑडियो उपकरण की टेस्टिंग के लिए प्रयोग की जाती है इसकी आउटपुट दिन को रेडियो सेट के विभिन्न सिरों पर लगाने से स्पीकर से एक विशेष प्रकार की आवाज आती है इस सर्किट को एक जनरल पीसीबी पर असेंबल करके एक छोटी कैबिनेट के पैक मे किया जा सकता है यह सर्किट केवल 1.5 वोल्ट की सप्लाई पर कार्य करता है अतः इसके लिए एक पेंसिल टाइप सेल ही पर्याप्त है।

3-: चहकती चिड़ियों का आवाज देने वाला सर्किट-:

यह सर्किट चिड़ियों की चर्चा हाथी आवाज उत्पन्न करने वाला सर्किट है इस सर्किट में दो एस्टेबल मल्टीवाइब्रेटर बनाए गए हैं इनमें बाय वह वाला सर्किट रेगुलेटर सर्किट है जो आवाज को दोहराने की दर को सेट करता है तथा दाई ओर वाला सर्किट टोन ओसीलेटर सर्किट है।
जो स्पीकर से प्राप्त होने वाली आवाज की क्वालिटी को सेट करता है रेनो सी लेटर सर्किट की आउटपुट को कंट्रोल एक के द्वारा ट्यून ओसी लेटर सर्किट को दी गई है जिसमें इसमें लगे दोनों ट्रांजिस्टर की बेश ऊपर रजिस्टेंस एक और रजिस्टेंस 2 के द्वारा प्राप्त होती है इस सर्किट में प्रत्येक आदमी चक्र के बाद आवाज की क्वालिटी में परिवर्तन आता है तथा बेसिक रूप से आवाज को कंट्रोल एक के द्वारा एडजस्ट किया जा सकता है इसके अलावा 20 लीटर में लगे ट्रांजिस्टर की बेस कलेक्टर के बीच लगे कपलिंग कैपेसिटर का मान बदल कर भी आवाज की टोन को बदला जा सकता है इसी प्रकार आवाज के दोहराने की दर को रेट उसी लेटर ट्रांजिस्टर की बेस कलेक्टर के बीच लगे कपलिंग कैपेसिटर का मान बदलकर भी सेट किया जा सकता है सर्किट को दी गई सप्लाई को कम करने पर भी आवाज की क्वालिटी में परिवर्तन होता है लेकिन 12 वोल्ट की सप्लाई पर ही यह सर्किट सही कार्य करता है इस सर्किट में एक ट्रांजिस्टर 5 साउंड एंपलीफायर के रूप में कार्य करता है इस ट्रांजिस्टर के बेहतर कलेक्टर से साउंड आउटपुट ट्रांसफार्मर लगाया गया है जिसके सेकेंडरी वाइंडिंग में स्पीकर लगाकर चह चहाती आवाज प्राप्त की जाती है।
4-: ताली बजाने से आन आफ होने वाला स्विच-:

5-: गर्जन की आवाज पैदा करने वाला सर्किट-:

6-: घरेलू कोल बेल-:

7-: एलेक्ट्रॉनिक विज्ञापन बोर्ड-:

8-:सिम्पल म्यूजिकल बेल-:

9-:तोते की आवाज देने वाली घंटी-:

(इनपुट इनपुट ट्रांसफार्मर की प्राइमरी के 3 तारों में से किन्हीं दो तारों को जोड़ देने पर अलग-अलग प्रकार की आवाज निकलती है इसलिए यहां पर एक वर्लपूल टू वे स्विच का प्रयोग किया गया है)

10-:एमर्जेन्सी लाइट-:



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